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Ved Prakash Kamboj Novels

वेद प्रकाश कंबोज ने 1958 से लेखन शुरू किया और आज 83 वर्ष की अवस्था में भी लेखन जारी है। पहले उन्होंने जासूसी उपन्यास लिखे किंतु पिछले 5 वर्षों से उन्होंने अपने लेखन की धारा को मोड़ कर पौराणिक और ऐतिहासिक उपन्यास लिखे और उत्कृष्ट साहित्यक पुस्तकों की रचना की। जब वह जासूसी उपन्यास लिखते थे तो उनका जादू पाठकों के सर चढ़कर बोलता था। विजय रघुनाथ अल्फांसे, सिंगही और गिलबर्ट जैसे चरित्र लोग आज भी नहीं भूल पाए हैं। नीलम जासूस कार्यालय उनके प्रसिद्ध उपन्यासों को 30 वर्ष बाद दोबारा पाठकों के सम्मुख लेकर आया है और उनका एक एक उपन्यास पठनीय है

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जासूसी साहित्य को वापस उसकी ऊंचाइयों पर ले जाने के प्रयास में सूरज पॉकेट बुक्स फिर आपके सामने लेकर आया है 60 के दशक का एक शाहकार प्रेतों का निर्माता। जिसका इंतेज़ार आप सभी को था-60 और 70 के दशक में…

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वेद प्रकाश कंबोज अपने दौर के सबसे लोकप्रिय हिंदी फंक्शन के लेखक रहे हैं जिन्होंने अनेक लोकप्रिय जासूसी उपन्यासों की रचना की। इन के पात्रों से प्रेरणा पाकर अन्य लेखकों ने भी उनके पात्र सिंगही,…

Free Download Langdi Ladki Ved Prakash Kamboj Hindi Novel Pdf

वेद प्रकाश कंबोज ने 1958 से लेखन शुरू किया और आज 83 वर्ष की अवस्था में भी लेखन जारी है। पहले उन्होंने जासूसी उपन्यास लिखे किंतु पिछले 5 वर्षों से उन्होंने अपने लेखन की धारा को मोड़ कर पौराणिक और…

Free Download Laaton Ke Bhoot Ved Prakash Kamboj Hindi Novel Pdf

वेद प्रकाश काम्बोज अपने दौर के सबसे लोकप्रिय हिंदी जासूसी उपन्यासों के लेखक रहे हैं जिन्होंने अनेक लोकप्रिय जासूसी उपन्यासों की रचना की। इन के पात्रों से प्रेरणा पाकर अन्य लेखकों ने भी उनके पात्र…

Free Download Cheete Ki Ankh Ved Prakash Kamboj Hindi Novel Pdf

मगर उस समय आर्थर विफर गया जब गाली देने वाले लड़कों में से एक ने उनकी मेज के निकट से गुजरते समय डाक्टर के सर पर चपत रसीद कर दी। उसके बाद आर्थर न रुक सका। वह किसी बिफरे हुए शेर को भांति उन चारों पर झपट…

Free Download Badmashon Ki Basti Ved Prakash Kamboj Hindi Novel Pdf

रघुनाथ ने विजय की ओर झपटना चाहा परन्तु विजय ने पीछे हटते हुए यह कहकर उसे रोक दिया-‘एक सुपरिन्टेन्डेन्ट को यह नदीदापन शोभा नहीं देता।’ ‘ऐसी की तैसी साले सुपरिन्टेन्डेन्ट की।’ रघुनाथ ने झल्लाकर कहा और…

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निदान कई वर्षों बाद 16 अक्टूबर 1955 को डैम्पियर नामक ब्रिटिश पनडुब्बी उस अपार धनराशि की खोज में चली। कैप्टन बरनज उस खोजी दल का नेता था। डैम्पियर ने अन्धमहासागर को मथ डाला लेकिन खजाने का पता न चला।…