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Rankshetram Part 4 Bharatvansh Ka Udai Hindi Novel

पौरवों का कीर्तिवर्णन- चंद्रवंशी राजा ययाति के महान पितृभक्त पुत्र पुरू के वंशज पौरवों का कीर्तिवर्णन करती ये कथा मुख्यतः पुरू के बीसवें उत्तराधिकारी सर्वदमन के पुरूराष्ट्र के सिंहासन पर महाराज भरत के रूप में विराजमान होने की यात्रा का वर्णन करती है। डकैत दल का मेघवर्ण के प्रति विश्वास भंग करने की मंशा से उपनंद छल से मेघवर्ण को द्वंद में पराजित करता है। द्वंद की तय शर्त अनुसार उपनंद को मुक्त करके वापस त्रिगर्ता भेज दिया जाता है। इधर सर्वदमन मतस्यराज को पराजित कर जयवर्धन के विरुद्ध अपने अभियान की घोषणा करता है। उसके उपरांत ब्रह्मऋषि विश्वामित्र उसे महाबली अखण्ड के विदर्भ अभियान की योजना के विषय में अवगत कराते हैं। तत्पश्चात अपने परममित्रों और गणान्ग दल के प्रमुख भगदत्त और नंदका को लेकर सर्वदमन विदर्भ की प्रजा में विद्रोह का बीज बोने निकलता है। अपने साथियों का विश्वास वापस जीतने और महाबली वक्रबाहु को मुक्त कराने की मंशा से मेघवर्ण चंद्रकेतु को लेकर त्रिगर्ता पहुँचता है, जहाँ विजयदशमी की बलिप्रथा को देख वो दोनों चकित रह जाते हैं। इधर एक बहरूपिया दुर्भीक्ष के विश्वासपात्र सेनापति भद्राक्ष को मारकर उसका स्थान ले लेता है, और दुर्भीक्ष को भैरवनाथ का सम्पूर्ण सत्य बताता है। क्रोध में दुर्भीक्ष समस्त असुरप्रजा के समक्ष भैरवनाथ का सर काट देता है। कौन है ये बहरूपिया? विदर्भ की प्रजा में विद्रोह का बीज बोने के पीछे महाबली अखण्ड का क्या उद्देश्य है? मेघवर्ण और चंद्रकेतु कैसे त्रिगर्ता की बलि प्रथा का ध्वंस करते हैं? क्या भैरवनाथ वास्तव में मर चुका है? या असुरों का कोई और ही खेल चल रहा है?.

Name: Rankshetram Part 4 – Bharatvansh Ka Udai
Format: PDF
Language: Hindi
Pages: 396
Size: 47 MB

Novel Type: Action, Fiction

Novel Series: Rankshetram Series

Writer : Utkarsh Srivastava

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